अंबिकापुर। यह तस्वीर सरगुजा जिले के काराबेल - मैनपाट मार्ग की है। यहां 24 घण्टे बंदरों का समूह सड़क किनारे विचरण करता रहता है। सड़क किनारे कई किलोमीटर के दायरे में बंदरों को देख सैलानी भी आकर्षित हो रहे है। भोजन की तलाश में सड़क किनारे पहुंच चुके इन बंदरों को देखते ही लोग रुक जाते है।

किसी भी व्यक्ति के रूकते ही छोटे-बड़े बंदर तत्काल उनके नजदीक पहुंच जाते हैं। सबसे अच्छी बात है कि बंदरों ने आज तक किसी पर न तो आक्रमण किया है और न ही बंदरों के कारण कोई घटना हुई है।बच्चों को गोद और पीठ में लेकर बड़े बंदर इधर-उधर उछल-कूद करते नजर आते हैं।

यह दृश्य रोमांचित करने वाल होता है। बंदरों का समूह मार्ग के दोनों ओर थोड़ी-थोड़ी दूरी पर उम्मीद भरी निगाहों से आने-जाने वाले लोगों को निहारते रहते हैं कि उन्हें कुछ खाने को मिल जाएगा। यह स्थिति पिछले कई महीनों से बनी हुई है।

बंदरों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है लेकिन जंगल में इन वन्य प्राणियों के भोजन और पानी की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है। मैनपाट , छत्तीसगढ़ का प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां तक पहुंचने के लिए दो रास्ते हैं। एक रास्ता अंबिकापुर से दरिमा होते मैनपाट को जाता है। दूसरा रास्ता अंबिकापुर-सीतापुर राष्ट्रीय राजमार्ग पर काराबेल से वंदना होते मैनपाट को जोड़ती है। इसी रास्ते पर बंदर अब आकर्षण का केंद्र बनते जा रहे हैं। जंगली बंदरो के भविष्य के लिए जंगलों में फलदार पौधों के रोपण की आवश्यकता अब महसूस की जाने लगी है।